आज हम जानेगें कि चंद्रगुप्त का चरित्र चित्रण के बारे में कि चन्द्रगुप्त का जीवन कैसा था. उसको क्या शौक था, उसका प्रजा के प्रति बरताव कैसा था, पूरी जानकारी इस पोस्ट में हमने प्रोवाइड कराई है कृपा इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े.
1. सौंदर्य और प्रकृति का प्रेमी
चन्द्रगुप्त मौर्य सौंदर्य और प्रकृति का प्रेमी था. चन्द्रगुप्त मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी. पाटलिपुत्र नगर गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थित था.
चन्द्रगुप्त मौर्य एक सूंदर महल में रहता था, जिसके स्तम्भों पर सोने, चाँदी की बेलें बनी हुई थी.
महल के चारो और सूंदर बाग थे, जहाँ भिन्न-भिन्न प्रकार के वृक्ष तथा फल-फूल थे.
रंग बिरंगे पक्षी यहाँ निवास करते थे. महल सुसज्जित में तालाब भी था, जहाँ देश विदेशों की मछलियॉ पाली जाती थी.
मेग्सथानीज के अनुसार, राजा बढे ठाट-बाट से रहता था. वह सोने की पालकी में बैठकर, जो हीरे और जवाहरात से सुसज्जित थी, प्रजा को दर्शन देता था
राजा के सोने-चाँदी के बर्तनो का यूनानी शासकों ने विशेष उल्लेख किया है. राजा के वस्त्रो पर सोने की कढ़ाई होती थी और उसका दरबार बढ़ी शान, सजधज और ठाट से लगता था.
2. शिकार का शौक
चंद्रगुप्त मौर्य को शिकार खेलने का शौक नहीं, बल्कि वह उसके मनोरंजन का प्रमुख साधन भी था. राजा के शिकार खेलने के विशेष वन है, जहां साधारण व्यक्ति नहीं जा सकते थे. पशुओं का युद्ध देखने में भी राजा की विशेष रूचि थी
3. कुशल राजनीतिज्ञ
एक छोटे से व्यक्ति से भारत का सम्राट बना चंद्रगुप्त मौर्य कुशल राजनीतिज्ञ होने का परिचय देता है.
नंद राजा पर आक्रमण करने से पहले उसने प्रवर्तक जैसे शक्तिशाली शासक को अपना मित्र बना लिया यूनानी शासक सेल्यूकस को पराजित करके उसकी बेटी से विवाह करना उसकी कूटनीतिज्ञ का परिचारक है
4. एक वीर युद्धा
चंद्रगुप्त मौर्य एक साहसी तथा वीर व्यक्ति था अपने बाहुबल से ही उसने एक विशाल साम्राज्य की नींव रखी.
5. न्याय-प्रियता
चंद्रगुप्त मौर्य एक न्याय प्रिय सम्राट था. निर्णय करते समय वह किसी का पक्षपात नहीं करता था. राज्य में उसने न्यायालयों का जाल बिछा रखा था, इसलिए अपराध कम होते थे और साम्राज्य में शांति और सुरक्षा पाई जाती थी
6. परिश्रमी
इसमें संदेह नहीं है चंद्रगुप्त मौर्य बड़ा परिश्रमी था. अपने परिश्रमी के कारण इव्य प्रगति करता हुआ सम्राट के पद तक जा पहुंचा। सम्राट बनने के बाद वह सारा दिन दरबार में प्रजा के कार्य में व्यस्त रहता था और दिन में कभी नहीं सोता था
7. उदार तथा हितकारी
एक निरंकुश शासक होते हुए भी वह एक उदार, दयालु और प्रजन हितकारी राजा था. वह प्रजा के हित में ही अपना समझता था. इतिहासकार हेवल के अनुसार, ”प्रजा के हित के लिए किए गए उसके कार्य उसकी उदारता और दयालुता के प्रतीक है.”
8. धर्मपरायण
चंद्रगुप्त मौर्य हिंदू धर्म का अनुयाई था, परंतु वह अन्य धर्मों के अनुयायियों पर अत्याचार नहीं करता था. उसके विचार बड़े उदार थे और अन्य धर्मों की सत्यता जानने का प्रयत्न भी करता था.
जैन परंपराओं के अनुसार, वह अपने अंतिम दिनों में जैन धर्म का अनुयाई बन गया और अपने राजपाट को छोड़कर दक्षिण भारत में उसने उपवास द्वारा अपने प्राण त्याग दिए.
यह भी पढ़े
- वैदिक संस्कृति (Vedie Culture) क्या है भूमिका और उद्देस्य
- हल्दीघाटी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ पूरी जानकारी
- Kabir Das ka Jeevan Parichey हिंदी में
- शकील बदायूंनी का जीवन परिचय | Shakeel Badayuni Essay in Hindi
FAQ’s
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का जनम कब हुआ था?
Ans: चन्द्रगुप्त मौर्या का जनम 345 ईस्वी-पूर्व में हुआ था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का जनम कहाँ हुआ था?
Ans: चंद्रगुप्त का जनम बिहार के ”पाटलिपुत्र” गांव में हुआ था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का प्रधानमंत्री कौन था?
Ans: चाणक्य (तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य)
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का पिता कौन था?
Ans: सर्वार्थसिद्धि मौर्य
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या की माता का क्या नाम था?
Ans: उनकी माता का नाम मूरा मौर्या (Mura Maurya) था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का महल कहाँ था?
Ans: चन्द्रगुप्त का महल पाटलिपुत्र में था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या की मृत्यु कब और कहाँ हुई?
Ans: 298 ईस्वी -पूर्व (उम्र 47-48) साल की उम्र में कर्णाटक के श्रवणबेलगोला गांव में हुई थी
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या का उत्तराधिकारी कौन था?
Ans: चन्द्रगुप्त मौर्या का उत्तराधिकारी (Chandragupta Maurya Son) सम्राट बिन्दुसार मौर्या था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या की कितनी पत्नियाँ थीं (Chandragupta Maurya Wife)
Ans: चन्द्रगुप्त मौर्या की तीन पत्नियाँ दुर्धरा, हेलेना, चंद्र नंदिनी थी
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या कहाँ के रहने वाले थे?
Ans: चन्द्रगुप्त मगध का रहने वाला था
Qs: चन्द्रगुप्त मौर्या की मृत्यु कैसे हुई थी?
Ans: चद्रगुप्त जैन धरम को मानते थे उन्होंने कुछ समय बाद भक्ति की और मुख कर लिया और साधना में ही अपनी सांसे त्याग दी और मोक्ष को प्राप्त हो गए
Conclusion
आशा करता हूँ कि आपको चंद्रगुप्त का चरित्र चित्रण की जानकारी से कुछ सिखने को मिला होगा। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो हमें सब्सक्राइब करे. अगर आप इससे रिलेटेड कोई और इनफार्मेशन चाहते हो तो हमे कमेंट में जरूर बताये
जय हिन्द जय भारत