Gangtok in Hindi: उत्तर-पूर्व और मैं बड़े सिक्किम राज्य की राजधानी गंगतोक पर्यटक के लिए बेहतरीन स्टोरी सेंटर है. यदि प्रकृति के करीब रहने की ख्वाहिश है और मठो से लेकर मंदिरों, बगीचों से लेकर पहाड़ों की नैसर्गिक और अप्रतिम छटा को निहारना चाहते हैं तो गंगटोक की यात्रा बेहद रोमांचक और प्रकृति के रहस्यों को समझने में मददगार होगी।
यह शहर पारंपारिकता और आधुनिकता का मिश्रण है. गंगतोक समुद्र तल से1547 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. सिक्किम नेपाल और भूटान की सीमा पर स्थित है. 19वीं शताब्दी में गलतियां की राजधानी बना. यह सिक्किम के दक्षिणी भाग में स्थित है.

यह पुल रानीपूल नदी के तट पर बसा हुआ है. इस शहर से पूरी कंचनजंगा सरेनी को देखा जा सकता है.गंगतोक का शाब्दिक अर्थ है ‘ पहाड़ की चोटी’. वाकई, वहां की सड़कों से गुजरते हुए आपको इस तर्ज का अनुभव भी होगा। सिक्किम की खूबसूरती के बारे में कहा जाता है कि इसे 5-6 दिलों में समेटना असंभव है. शायद टूरिस्ट की आसानी के लिए ही टूरिज्म डिपार्टमेंट ने सिक्किम को 4 हिस्सों में बांटा है-
नॉर्थ, ईस्ट, वेस्ट और साउथ– सिक्किम। इनमें सबसे ज्यादा आकर्षक ईस्ट सिक्किम को माना जाता है और गंगतोक भी इसी का हिस्सा है
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गंगटोक का इतिहास – History of Gangtok in Hindi
सन 1840 में एनचेय नाम के मठ के निर्माण के बाद, गंगतोक शहर प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में लोकप्रिय होना शुरू हो गया.18वी सदी के बाद से सिक्किम में गंगटोक एक महत्वपूर्ण शहर के रूप में बना हुआ है
वर्ष 1894 के दौरान उस समय के सत्तारूढ़ सिक्किम चोग्याल, थुटोब नामगयाल ने सिक्किम को राजधानी के रूप में घोषित किया,1947 मैं भारतीय स्वतंत्रता के बाद ‘गंगतोक’ राजधानी होने के साथ-साथ सिक्किम एक स्वतंत्र राजशाही के रूप में भी कार्य करता रहा
बाद में, वर्ष 1975 के दौरान भारत के साथ मिलकर अपने समाकलन के बाद, गंगतोक को देश की 22वीं राज्य की राजधानी घोषित किया गया था और आज, सिक्किम कई रोचक बातों के लिए गौरव लगता है- पूर्वी सिक्किम का मुख्यालय और सिक्किम पर्यटन का मुख्य आधार से तिब्बती बुद्ध संस्कृति को सीखने का मुख्य केंद्र है, क्योंकि यहां विभिन्न मठ, धार्मिक शिक्षा केंद्र और तिब्बत शास्त्र केंद्र है

गंगटोक की यात्रा – Trip to Gangtok in Hindi
यह सही है कि मई में गंगतोक में बारिश का मौसम रहता है और वहां पर बर्फ भी गिरती है. हालांकि इस मौसम में गंगतोक की खूबसूरती देखते ही बनती है, लेकिन पर्यटकों के लिए तब थोड़ी परेशानी हो सकती है. लैंडस्लाइड की वजह से आप वहां पर फस सकते हैं और जिससे हालात और खराब होने का अंदेशा रहता है
वहां के लोगों के मुताबिक गंगतोक जाने के लिए अप्रैल का महीना बेहतर है. वैसे यहां जाने का बेस्ट सीजन फरवरी से मई और सितंबर से दिसंबर के बीच है.
तो आइए आपको ले चलते हैं गंगटोक की खूबसूरत वादियों में – Gangtok tourist places

फूलों की घाटी (Flower Vally)
यह घाटी कई खूबसूरत और कम मिलने वाले फूलों के लिए प्रसिद्ध है.आक्रिड की यहाँ 450 से भी ज्यादा वैरायटी है. फोटो खिंचवाने के लिए यहां पर्यटकों की भीड़ फूलों की संख्या से ज्यादा रहती है
मोनेस्ट्री (मठ/आश्रम)
यहाँ 200 से भी ज्यादा मॉनेस्ट्री और गोम्फा है. रुमटेक धर्म चक्र यहां की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री है. यहां अधिकतर लामा तिब्बती भाषा बोलते हैं, इसलिए यदि आप यहां के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं तो अंग्रेजी बोलने वाले लामा को ढूंढना पड़ेगा। यहां 10 फुट ऊंची सुनहरे रंग की बुद्ध की प्रतिमा है
इस कंपलेक्स के चारों ओर करीब 100 प्रार्थना चक्र है, जिनके अंदर हाथ से लिखे मंत्र हैं
डियर पार्क (Deer Park)
50वें दशक के अंत में बने डियर पार्क का अप्रतिम सौंदर्य देखते ही बनता है. अभी से ‘रुस्तमजी पार्क’ के नाम से भी जाना जाता है, जो चोगयाल के दिवान और ‘ांचोटेड फ्रंटियर्स’ नामक लेखक है यहाँ कई प्रजाति के हिरण देखे जा सकते है. साथ ही यहां उन जानवरों को भी देखा जा सकता है, जो केवल सिक्किम में ही पाए जाते हैं
लाल पांडा, हिमालया भालू के लिए विशेष गुफाएं यहां बनी हुई है
रिज पार्क (Ridge Park)
रिज पार्क मुख्य बाजार से 15 मिनट की दूरी पर है. दरसल रिज एक समतल सड़क है, जहाँ वहाइट हाल और मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है, जिसे ‘मिंतोकगैंग’ कहाँ जाता है इसका शाब्दिक अर्थ ‘खूबसूरत हिलटॉप’ है. यहाँ पं. जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा स्थापित है
हिमालयन जुलाजिकल पार्क (Himalayan Zoological Park)
गणेश टोंक से ठीक वितरित 205 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में बसा हिमालयन जूलॉजिकल पार्क है. इस क्षेत्र को ‘ बुलबुले’ नाम से भी जाना जाता है, जो हनुमान टोक तक फैला है. इस बार के अंदर जीप का प्रवेश निषेध है.सीमेंट से बनी पतली सड़को पर चलते समय लाल पांडा,हिरण, भालू और सिक्किम के अन्य जानवरों को देखा जा सकता है. इसके बगल में ही बेहद खूबसूरत पाइनटम गार्डन है, जहाँ चीड़ के पेड़ है
Research इंस्टिट्यूट ऑफ़ तिब्बतीलॉगी ओक के घने जंगलो के बीच स्थापित इस इंस्टिट्यूट में तिब्बती साहित्य व संस्कृति के इतिहास की जानकारी ली जा सकती है
खूबसूरत ईमारत से बने इस इंस्टिट्यूट में 10 रूपए की entry फीस देनी होगी। ध्यान रखे की यहाँ फोटोग्राफी नहीं की जा सकती

ताशि व्यू प्वाइंट (Tashi View Point)
कंचनजंगा की अप्रतिम और नैसर्गिस की खूबसूरती को गंगटोक शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित ताशि व्यू पवाइंट देखा जा सकता है. सिक्कम के राजा ताशि नामगयाल द्वारा इसे बनाया गया था
कंचनजंगा और आसपास के पहाड़ो की बर्फीली खूबसूरती इतनी मदहोश कर देने वाली है कि यहाँ से हटने का मन ही नहीं करेगा। खुला आकाश और चारों ओर पारदर्शी हरयाली मन-मोहने को तैयार रहती है. सामने के पहाड़ पर फ़ोटोंग और लाबरांग मिनिस्ट्री देखी जा है.
यहाँ एक खूबसूरत पार्क भी है. खाने-पीने के लिए यहाँ एक छोटा कैफेटेरिया है, जहाँ पारम्परिक सिक्क्मी भोजन भी उपलब्ध है
रोप-वे (Rope Way)
गंगटोक के मुख्य बाजार के आसपास ही रोप- वे भी है. 70 रूपए का टिकट लेकर आधे घंटे तक ट्रॉली की सवारी की जा सकती है, जो आपको ऊपर पहाड़ पर ले जाएगी। लेकिन ट्रॉली से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है
एम.जी मार्ग (MG Marg)
पहाड़ो को देखने के बाद यदि शॉपिंग का लुप्त उठाना हो तो एम.जी मार्किट से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। नक्कासीदार लकड़ी और बांस की चीजे, लेपचा बैग, तन्खा पेंटिंग के आलावा डिज़ाइनर ड्रेस, कारपेट, दरी ख़रीदे जा सकते है. सोने और चांदी के साथ जड़े रत्न-नग वाली ड्रैगन सेट की जवैलरी यहाँ की खासीयत है
विभिन्न सवाल वाली चाय यहाँ से जरूर खरीदनी चाहिए। कीमत करीब 100 रूपए प्रति किलो है
नाथूला पास (Nathula Pass)
गंगटोक से नाथुला की दूरी: गंगटोक से करीब साढ़े 3 घंटे की जर्नी के बाद आप पहुँचते है नाथुला पास| यह जगह भारत और चीन की सीमा है, जिस पर सेना का नियंत्रण है. यही वजह है कि यहाँ तक पहुंचने से पहले आपको स्पेशल permit की जरुरत होगी। यह परमिट एक दिन पहले traiwal agent या turisuam office की मदद से बनवाया जा सकता है
इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति की दो फोटो और ID Proof की जरुरत होती है. नथूला पास तक जाने का रास्ता बेहद खूबसूरत, ठंडा और बर्फ से ढका हुआ है. Gangtok temperature ठंडा इतना कि ऊपर चोटी पर तापमान -4 डिग्री तक पहुंच जाता है. लेकिन गर्मियों में यह करीब -20 डिग्री रहता है. यहाँ जाने के लिए आपको trawal agent या टेक्सी स्टैंड से टेक्सी लेनी होगी, जिसे आप अन्य यात्रियों के साथ शेयर भी कर सकते है
सोमवार और मंगलवार को यह जगह आम पर्यटकों के लिए बंद रहती है

छंगू झील (Chhangu Lake)
नाथूला पास के रास्ते में सुंदर छंगू झील का नजारा भी लिया जा सकता है. यहाँ याक की सवारी भी उपलब्ध है. यहाँ तक पहुंचने के लिए भी स्पेशल permit की अव्सय्कता होती है. लेकिन नाथूला पास के परमिट से ही बाबा का मंदिर और झील भी देखे जा सकते है

दूरी | कार | पैदल |
दार्जिलिंग से गंगटोक की दूरी | 3 hr 35 min | 20 hr 53 min |
सिलीगुड़ी से गंगटोक की दूरी | 3 hr 54 min | 25 hr |

गंगटोक कैसे पहुंचे – How to Reach Gangtok in Hindi
गंगटोक का नजदीकी gangtok airport बागडोगरा है. वहां से सड़क मार्ग से गंगटोक लगभग 124 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में करीब 4 घंटे लग जाते है बागडोगरा एयरपोर्ट से pre-paid टैक्सी ले सकते है. लेकिन टेक्सी के भारी खर्च से बचने के लिए आप दूसरे यात्रियों के साथ टेक्सी शेयर भी कर सकते है
वैसे बागडोगरा से गंगटोक के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है

Gangtok रेल मार्ग
गंगटोक के नजदीकी railway station सिलीगुड़ी और न्यू जलपाईगुड़ी है. दिल्ली से सीधी train इन स्टेशनो के लिए उपलब्ध है. बागडोगरा की तरह वहां से भी सड़क मार्ग गंगटोक पंहुचा जा सकता है. सिलीगुड़ी से गंगटोक की दूरी 114 किलोमीटर है, जबकि न्यू जलपाईगुड़ी railway station से गंगटोक 125 किलोमीटर दूर है. वहां से भी लगभग 4 घंटे में गंगटोक पंहुचा जा सकता है
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Gangtok Tourism in Hindi से रिलेटेड FAQ’s
नाथुला दर्रा किस राज्य में है
Ans: सिक्किम में
Qs: गंगटोक की राजधानी क्या है?
Ans: सिक्किम की राजधानी गंगटोक है
Qs: गंगटोक का दूसरा नाम क्या है?
Ans: लैंड आँफ मोनास्ट्री
Qs: गंतोक का शाब्दिक अर्थ क्या है?
Ans: गंतोक का अर्थ है, पहाड़
Qs: न्यू जलपाईगुड़ी से गंगटोक कितना दूर है?
Ans: 120 किलोमीटर
Qs: गंगटोक में बर्फबारी कब होती है?
Ans: दिसंबर से फरवरी के मौसम